9/18/07

Google Story :)


गूगल हमारी जिन्दगी मॆं कैसे प्रवेश कर गया है और साथ ही कितना जरूरी बन गया है इसका आकलन कर पाना बहुत मुश्किल भी है और बहुत आसान भी | अगर आप आंकडे धून्द्ने लगेंगे तो आपको गूगल के हमारी ( जो इन्टरनेट करते हैं ) जिन्दगी मॆं घुसपैठ का पता चलेगा पेर असली असर तो इसका आपको उन छोटी छोटी बातों से पता पड़ेगा जो कि आप अब बिना गूगल करने मॆं बहुत दिक्कत पाते हैं |

कल ही मॆं दक्षिण एक्सप्रेस से ग्वालियर से वापस नौएडा आ रहा था | मैं ट्रेन मैं अपनी बिर्थ मियन लेटा हुआ David Vise कि किताब "The Google Story " पढ़ रह था | उस किताब कि कवर पेर ही Google का बड़ा सा लोगो बाना हुआ है | एक आदमी, जो कि मेरी बिर्थ के पास ही नीचे कोच के फर्श पेर बैठा हुआ था और जो अपनी वेश भूषा से कोई मिल का काम करने वाला मजदूर लग रह था, मेरी तरफ बड़ी गौर से देख रहा था | थोड़ी देर के बाद वो मुझसे बोला "कि भाई साहब क्या आप कंप्यूटर का काम करते हैं?" | सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ कि ऐसा क्यों लगा और क्यूंकि मेरा laptop भी मेरे backpack मैं रख हुआ था | और साथ ही ऐसा लग भी नही रह था कि इसको कुछ कंप्यूटर के बारे मैं पता होगा | फिर भी मैंने उससे कहा कि हाँ , पर तुमको ऐसा क्यों लगा ?

"वो बोला कि जो किताब आप पढ़ रहे हैं उसके ऊपर जो चित्र बाना हुआ है उसको मैं जनता हूँ " मैं ये सुन के आश्चर्य चकित हुआ और खुश भी हुआ | मैंने उससे पूछा कि कैसे जानते हो तो वो बोला कि मेरे साहब हमेशा ये चित्र को ही खोलें रहते हीं अपने कंप्यूटर पर | वो किसी के घर मैं नौकरी कर्ता था | वो बोला कि साब कोई भी काम होता है तो बस ये ही खोल लेते हैं , उनको कोई गान असुन्ना होता है , कोई फिल्म देखनी होती है , कोई भी काम करना होता है मेरे साहब इसी से करते हैं |

कुछ और बात करने पेर पता चला कि वो Google को ही कोम्पुत्र समझता था और उसके हिसाब से कंप्यूटर पे कोई भी काम करना हो तो वो Google से ही होता है | उसको इन्टरनेट भी नही पता था पेर Google पता था उसके लिए वोही कंप्यूटर था| मैं ये सोचने लगा कि इस आदमी के मन मैं जो Google कि इमेज हैं कुछ हद तक Google इसपे खरा भी उतरता है पर हम उसको समझ नही पाते |
हो सकता है कि आज से ५-१० साल बाद जब Google OS आ जाये और सारे काम उसी से होन तो इसकी बात सच ही हो जाये |

9/7/07

क़द


वो शख्स , जिसका क़द मेरे क़द से बड़ा था ,
वो शख्स किसी और के पैरों पर खड़ा था |